शान्ति-कपोत के पंखों की तरह खड़ी हो तुम अडिग कैसे मर सकती हो तुम, सदा को ! शान्ति-कपोत के पंखों की तरह खड़ी हो तुम अडिग कैसे मर सकती हो तुम, सदा को !